The smart Trick of shayri That No One is Discussing
The smart Trick of shayri That No One is Discussing
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पलकें तेरी सूनी लग रही, आज आँखो में काजल नहीं, सब ठीक है ना, मेरे रूठने का ग़म तो नहीं।
"खुद को खुद के बारे में थोड़ा बता दो ना, अब आप भी आपने ज़िंदगी का फैसला लेना शुरू कर दो ना।"
رب میریا کیوں کھو لینا ایں ماواں نوں جنت جیہیاں ٹھنڈیاں مِٹھیاں چھانواں نوں
कभी कभी सोचता हूँ कैसी होती मेरी ज़िंदगी तुम्हारे बगैर।
वह शायरी है, जो इंतजार के अनुभव को बयान करती है। यह केवल समय बिताने की बात नहीं है, बल्कि उस दौरान महसूस की जाने वाली भावनाओं—उम्मीद, खुशी, दुख और बेचैनी—को व्यक्त करती है।
लेकिन मुझे हर खुशी में सिर्फ़ एक तू चाहिए।
Punjabis are taking place, energetic, and tradition oriented. They give equivalent relevance for their language, foods, literature and poetry. You merely can’t skip the significance of unhappy & Punjabi intimate poetry. Considering the fact that historical moments, Punjabi poetry has built a deep mark shayari on its natives with the magical verses of Waris Shah and Bulleh Shah.
शर्मिंदा आज तक हैं मियाँ ज़िंदगी से हम
तुम ही तो हो मुझमे मैं खुद में कहाँ हूँ।
चकबस्त का ये शे’र बहुत मशहूर है। ग़ालिब ने क्या ख़ूब कहा था;
है अजीब शहर की ज़िंदगी न सफ़र रहा न क़याम है
तुझे पाकर आरज़ू सारी पूरी हो गई, अब सजदे में क्या मांगू खुदा से।
अब इश्क़ के अलावा कोई काम नहीं सूझता, एक तुम हो और बस मैं हूँ।
मानव शरीर की रचना कुछ तत्वों से होती है। दार्शनिकों की दृष्टि में वो तत्व अग्नि, वायु, मिट्टी और जल हैं। इन तत्वों में जब भ्रम पैदा होता है तो मानव शरीर अपना संतुलन खो देता है। अर्थात ग़ालिब की भाषा में जब तत्वों में संतुलन नहीं रहता तो इंद्रियाँ अर्थात विभिन्न शक्तियां कमज़ोर होजाती हैं। चकबस्त इसी तथ्य की तरफ़ इशारा करते हैं कि जब तक मानव शरीर में तत्व क्रम में हैं मनुष्य जीवित रहता है। और जब ये तत्व परेशान हो जाते हैं अर्थात उनमें संतुलन और सामंजस्य नहीं रहता है तो मृत्यु होजाती है।